‘हैदराबाद मुक्ति आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतीय भाषाएं’ ( निज़ाम रियासत) विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं की वाणी से गूंज उठा आर्ट्स कॉलेज, उस्मानिया विश्वविद्यालय
हैदराबाद : उस्मानिया विश्वविद्यालय एवं स्वतंत्रता सेनानी पंडित गंगाराम स्मारक मंच के तत्वावधान में महर्षि देव दयानंद सरस्वती की द्विशताब्दी जयंती तथा हैदराबाद मुक्ति दिवस के अमृत महोत्सव वर्ष के उपलक्ष में ‘हैदराबाद मुक्ति आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानी’ विषयक एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी उस्मानिया विश्वविद्यालय के आर्ट्स कॉलेज में आयोजित की गई। 600 से अधिक श्रोताओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं की वाणी से आर्ट्स कॉलेज गूंज उठा। उन्होंने निज़ाम के निरंकुश शासन और हैदराबाद मुक्ति आंदोलन में भाग ले चुके स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया और श्रद्धा सुमन अर्पित किये ।
संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर चिंता गणेश (अध्यक्ष सामाजिक विज्ञान विभाग एवं आचार्य, आर्ट्स कॉलेज, उस्मानिया विश्वविद्यालय) के कर कमलों से दीप प्रज्वलन तथा संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा वेद मंत्रों से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। व्यास पीठ पर मुख्य अतिथि डॉ महेंद्र गोशाल, प्राचार्य, होम्योपैथिक महाविद्यालय, बीड, महाराष्ट्र, डॉ केशवनारायण वेदालंकार, सेवा निवृत प्राचार्य, उ वि वि तथा विशिष्ट अतिथि श्रीमती प्रतिभा गांधी, श्रीमती रश्मि द्विवेदी (दोनों बहने टोरंटो कनाडा), प्रो चन्द्रदेव कवड़े, औरंगाबाद महाराष्ट्र, डॉ चन्द्र शेखर लोखंडे, लातूर महाराष्ट्र, डॉ विद्यानंद आर्य, अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, डॉ माया देवी वाघमारे, अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, डॉ नम्रता बागड़े, अध्यक्ष, मराठी विभाग एवं डॉ लिंगप्पा गोनल, अध्यक्ष, कन्नड़ विभाग, भक्त राम, अध्यक्ष एवं श्रुतिकांत भारती, मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी पण्डित गंगाराम स्मारक मंच विराजमान थे। इस समारोह के आधारभूत व्याख्यान के लिए प्रोफेसर टी केशवनारायण वेदालंकार, पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग एवं पूर्व प्राचार्य आर्ट्स कॉलेज उस्मानिया विश्वविद्यालय ने की।
अध्यक्ष स्वतंत्रता सेनानी पंडित गंगाराम स्मारक मंच श्री भक्तराम ने समारोह को पंडित गंगाराम वानप्रस्थी जी के विस्तृत जीवन के इतिहास के पन्नों में ना आने तथा गुमनाम होने की पीड़ा को बताया और उन्होंने इस कार्य में ऐसे अनेक गुमनाम सेनानियों के लिए कुछ न कुछ निरंतर प्रयत्न करते रहने का आश्वासन दिया और उन्होंने पण्डित गंगाराम जी पर शीघ्र ही जीवनी प्रकाशित करने के लिए संकल्प लिया एवं मंत्री श्री श्रुतिकांत भारती ने उस्मानिया विश्वविद्यालय में कार्यक्रम को अयोजित करने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि, निज़ाम राज्य के समय, जितने भी स्वतंत्रता सेनानी थे, इसी विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की थी एवं उस समय पुरे राज्य में एक
ही विश्वविद्यालय था और वह भी उर्दू माध्यम से पढ़ाई होती थी,इस कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा हमने कर्नाटक, महाराष्ट्र व तेलेंगाने के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से मिलने 2-3 दिन भ्रमण कर जानकारी प्राप्त की। इसके अलावा प्राप्त शोध पत्रों को भी पुस्तक रूप में प्रकाशित करने की जानकारी दी।
उद्घाटन समारोह के पश्चात प्रथम सत्र आरंभ हुआ। इसकी अध्यक्षता डॉक्टर माया देवी वाघमारे अध्यक्ष हिंदी विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय और संचालन डॉक्टर संगीता व्यास हिंदी विभाग उस्मानिया विश्वविद्यालय ने की। शोधपत्र श्रीमती वनमाला मुक्कावार (मराठी) उदगीर, महाराष्ट्र,डॉक्टर शेष बाबू (हिंदी ) श्री रुचिर भारती (हिंदी) डॉक्टर संजय तोंड़रकर (मराठी ) उदगीर,महाराष्ट्र ने प्रस्तुत किया। इस समारोह में मुख्य वक्ता डॉ चंद्रदेव कवडे, औरंगाबाद, महाराष्ट्र और डॉ सुरभि दत्त रहे हैं।
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर केशवनारायण वेदालंकार ने की तथा और संचालन डॉ अजय ने किया। शोधपत्र वक्ता श्रीमती खादीवाले संगीता शिवाजीराव,(मराठी), उदगीर, महाराष्ट्र श्री अशोक कुमार श्रीवास्तव (हिंदी) श्रीमती विभा भारती (हिंदी )श्रीमती सुधा ठाकुर ,(हिंदी) डॉक्टर मुक्तावाणी (संस्कृत) श्री प्रदीप भट्ट ( हिन्दी)ने प्रस्तुति दी। इस सत्र के मुख्य वक्ता डॉक्टर कसीरेड्डी वेंकटरेड्डी, पूर्व अध्यक्ष, तेलुगू विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय एवं डॉक्टर चंद्रशेखर लोखंडे लातूर महाराष्ट्र ने अपने ओजस्वी विचार प्रस्तुत किया।
मध्यान्ह में भोजन अवकाश के पश्चात तीसरे सत्र की शुरुआत हुई। इसकी अध्यक्षता डॉ नम्रता बागड़े और संचालन डॉक्टर सुमेधा आर्य ने किया। शोध पत्र श्रीमती सुषमा देवी (हिंदी), श्री विजय कुमार तिवारी (हिंदी) गुलबर्गा, श्री सुपोषपाणि आर्य (हिंदी) अध्यक्ष, श्यामलाल शिक्षण संस्था,उदगीर, श्रीमती रंजना पाटिल (हिंदी) भालकी, महाराष्ट्र, डॉक्टर संतोष ,(संस्कृत) रविंद्र रामदेव (मराठी) डॉक्टर तुकाराम बोले, उदगीर महाराष्ट्र (मराठी) ने किया। इस सत्र में डॉ महेंद्र गौशाल, बीड, महाराष्ट्र मुख्य वक्ता थे।
चतुर्थ व अन्तिम सत्र की अध्यक्षता डॉक्टर विद्यानंद आर्य और संचालन डॉक्टर गोपाल कृष्ण ने किया। इस सत्र में शोधपत्र प्रस्तुतकर्ता सदाशिव गाड़े,( मराठी), मनीषा आर्य, (हिन्दी), के श्याम सुंदर (हिन्दी) श्रीमती मैत्रेयी, (हिन्दी), श्रीमती सुचित्रा विनोद चन्द्र, (हिन्दी) कुमार भरत मुनि(तेलुगु) एवं प्रशान्त आर्य (तेलुगु) ने किया। मुख्य वक्ता डॉ अन्नदानं सुब्रह्मण्यम शास्त्री और अनिल कुमार, क्षेत्रीय निदेशक,(NIOS) भारत सरकार रहे हैं।
( कार्यक्रम प्रातः 9 बजे प्रारम्भ होकर सायं 7.30 बजे समाप्त हुआ ), दिन भर में चले चारों सत्र के पश्चात समापन समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर सी मुरलीकृष्ण, अध्यक्ष, कला संकाय उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद द्वारा किया गया। संचालन श्री श्रुतिकांत भारती, मिलिंद प्रकाशन,समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉक्टर चंद्रदेव कवड़े, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, सेवानिवृत्त आचार्य अध्यक्ष हिंदी प्रचार सभा एवं विशिष्ट अतिथि डॉ महेन्द्र गोशाल, बीड महाराष्ट्र तथा डॉ चन्द्रशेखर लोखंडे, लातूर महाराष्ट्र अपने विचारों से समा बांधा।
इन सत्रों में शोध पत्र प्रस्तुति के अतिरिक्त, विदेशों से ऑडियो और वीडियो द्वारा भी कई संदेश प्राप्त हुए, लेकिन समय के अभाव में संयोजक प्रसारित नहीं कर पाए।
इस कार्यक्रम में तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त महाराष्ट्र और कर्नाटक के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कई शिक्षण संस्थाओं ने भी अपने प्रतिनिधियों को समारोह में भाग लेने के लिए अनुमति दी। आर्य समाज और कई संगठनों ने भी भाग लिया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में लगभग 600 से अधिक लोगों ने भाग लिया। इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में हाल पूरा खचाखच भर गया था तथा कई अतिथियों को बाहर ही खड़े होकर सुनने मजबूर होना पड़ा। इस दौरान उदगीर से आये अध्यक्ष, श्यामलाल स्मारक शिक्षण संस्था, उदगीर, महाराष्ट्र की ओर से स्वतंत्रता सेनानी से जुडे हुए परिवारों के सदस्यों का सम्मान भी किया गया।
मुख्य रुप से केंद्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक गंगाधर वानोडे, सूत्रधार और संस्थापिका सरिता सुराणा, दिगंबर कवि निखिलेश्वर, कवि और लेखक सुहास भटनागर,प्रदीप शरण भट्ट, डी गोपाल, सन्देश भारद्वाज, डॉ धर्म तेजा, डॉ विद्याधर, डॉ राजनारायण, प्रेमचन्द मनोत, प्रदीप जाजू और अन्य उपस्थित थे।
अंत में, संचालक द्वारा आगंतुक सभी महानुभावों को, हार्दिक धन्यवाद दिया एवं उस्मानिया विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो डी रविन्द्र को विशेष रूप से धन्यवाद ज्ञापन दिया गया, जिन्होंने इस विश्वविद्यालय में कार्यक्रम करने हेतु सहज स्वीकृती प्रदान की। चारों विभागों के अध्यक्ष, प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों को धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। साथ में, उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्राचार्य प्रो चिंता गणेश, प्रो सी मुरलीकृष्ण, अध्यक्ष, कला संकाय, एवं सहयोगी स्टॉफ, कर्मचारियों को हृदय से धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। शांति पाठ और राष्ट्रगान के साथ अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी का समापन हुआ।
Freedom Fighter of Hyderabad Liberation Movement and Indian Languages echoed with the speech of the speakers at International Seminar in Arts College, O.U.
Hyderabad: Under the auspices of Osmania University and Freedom Fighter Pandit Gangaram Memorial Foundation, a one-day International Seminar on ‘Freedom Fighters of Hyderabad Liberation Movement’ on the occasion of the bicentenary birth anniversary of Maharishi Dev Dayanand Saraswati and the Amrit Mahotsav year of Hyderabad Liberation Day, held in The Arts College, Osmania University echoed with the voices of the speakers at the international symposium amidst an audience of more than 600 and remembered, paid homage to the freedom fighters who participated in the Nizam’s autocratic rule and the Hyderabad Liberation Movement.
The inauguration ceremony of the seminar was presided over by Prof. Chinta Ganesh (Chairman, Department of Social Sciences and Professor, Arts College, Osmania University) with the lighting of the lamp from the lotus and the program began with Veda mantras by the students of the Sanskrit Department. Chief Guest Dr. Mahendra Goshal, Principal, Homeopathic College, Beed, Maharashtra, Dr. Keshavnarayan Vedalankar, retired Principal, on the Vyas Peeth. and Special Guest Mrs. Pratibha Gandhi, Mrs. Rashmi Dwivedi (both sisters from Toronto, Canada), Prof. Chandradev Kavde, Aurangabad Maharashtra, Dr. Chandra Shekhar Lokhande, Latur Maharashtra, Dr. Vidyananda Arya, Head, Department of Sanskrit, Dr. Maya Devi Waghmare, Head, Department of Hindi, Dr. Namrata Bagde, Head, Department of Marathi and Dr. Lingappa Gonal, Head, Department of Kannada, Bhakt Ram, President and Shrutikant Bharti, Secretary, Freedom Fighter Pandit Gangaram memorial foundation were seated. Professor T Keshavnarayan Vedalankar, Former Head Sanskrit Department and Former Principal Arts College Osmania University did the foundational lecture of this ceremony.
Chairman Freedom Fighter Pandit Gangaram Smarak Manch Mr. Bhakt Ram told the ceremony about the pain of not coming in the history pages of Pandit Gangaram Vanprasthi ji’s detailed life and the pain of being anonymous and in this work, he is making some continuous effort for many such anonymous fighters. He assured to stay and he resolved to publish biography on Pandit Gangaram ji soon and Secretary Shri Shrutikant Bharti decided to organize the program in Osmania University because, at the time of Nizam’s rule, all the freedom fighters were studies from this university and at that time there was only one university in the state.
Studied and at that time there was only one university in the entire state and that too was taught in Urdu medium, explaining the outline of this program, we visited the families of freedom fighters from Karnataka, Maharashtra and Telangana for 2-3 days and gathered information. Apart from this, information was also given to publish the received research papers in book form.
The first session started after the opening ceremony. It was presided over by Dr. Maya Devi Waghmare, Head Department of Hindi, Osmania University and coordinated by Dr. Sangeeta Vyas, Department of Hindi, Osmania University. Papers were presented by Mrs. Vanmala Mukkawar (Marathi) Udgir, Maharashtra, Dr. Shesh Babu (Hindi), Mr. Ruchir Bharti (Hindi) Dr. Sanjay Tondarkar (Marathi) Udgir, Maharashtra. Dr. Chandradev Kavde, Aurangabad, Maharashtra and Dr. Surbhi Dutt have been the main speakers in this function.
The second session was presided over by Professor Keshavnarayan Vedalankar and moderated by Dr. Ajay. Papers were presented by the speakers. The keynote speakers of this session were Dr. Kasireddy Venkatreddy, Former Chairman, Dept. of Telugu, Osmania University and Dr. Chandrashekhar Lokhande, Latur, Maharashtra.
Brilliant idea presented.
The third session began after the lunch break in the afternoon. It was presided over by Dr. Namrata Bagde and operated by Dr. Sumedha Arya. Research Paper Mrs. Sushma Devi (Hindi), Mr. Vijay Kumar Tiwari (Hindi) Gulbarga, Mr. Suposhpani Arya (Hindi) President, Shyamlal Shikshan Sanstha, Udgir, Mrs. Ranjana Patil (Hindi) Bhalki, Maharashtra,
Dr. Santosh, (Sanskrit) Ravindra Ramdev (Marathi) Dr. Tukaram, Udgir Maharashtra (Marathi) did it. Dr. Mahendra Gaushal, Beed, Maharashtra was the keynote speaker in this session.
The fourth and last session was presided over by Dr. Vidyanand Arya and conducted by Dr. Gopal Krishna. Presenters of papers in this session were Sadashiv Gade, (Marathi), Manisha Arya, (Hindi), K Shyam Sundar (Hindi), Mrs. Maitreyi, (Hindi), Mrs. Suchitra Vinod Chandra, (Hindi), Kumar Bharat Muni (Telugu) and Prashant Arya ( Telugu) did. The keynote speakers were Dr. Annadanam Subrahmanyam Shastri and Anil Kumar, Regional Director, (NIOS) Govt. of India.
(The program started at 9.00 a.m. and ended at 7.30 p.m.) After four sessions held throughout the day, the valedictory function was presided over by Prof. C. Muralikrishna, Dean, Faculty of Arts, Osmania University Hyderabad. Conducted by Mr. Shrutikant Bharti, Milind Prakashan, Chief Guest of the closing ceremony Dr. Chandradev Kavde, Aurangabad, Maharashtra, Retired Acharya, President Hindi Prachar Sabha and special guests Dr. Mahendra Goshal, Beed Maharashtra and Dr. Chandrashekhar Lokhande, Latur Maharashtra tied the knot with their thoughts.
In addition to the presentation of research papers in these sessions, several audio and video messages were also received from abroad, but due to paucity of time, the coordinator could not broadcast them.
Apart from Telangana and Andhra Pradesh, representatives from Maharashtra and Karnataka participated in the programme. Several educational institutions also allowed their representatives to participate in the function. Arya Samaj and many organizations also participated. More than 600 people participated in the international symposium. The hall was full to capacity in this international program and many guests were forced to stand outside and listen. During this, the members of the families associated with the freedom fighter were also felicitated on behalf of the President, Shyamlal Smarak Shikshan Sanstha, Udgir, Maharashtra who came from Udgir.
Mainly the director of Kendriya Hindi Sansthan Gangadhar Vanode, Sutradhar founder Sarita Surana, Digambara poet Nikhileshwar, poet and writer Suhas Bhatnagar, Pradeep Sharan Bhatt, D Gopal, Sandesh Bhardwaj, Dr. Dharam Teja, Dr. Vidyadhar, Dr. Rajnarayan, Premchand Manot, Pradeep Jeju and others were present.
In the end, the director thanked all the visiting dignitaries and specially thanked Prof. D. Ravindra, Vice-Chancellor of Osmania University, who gave spontaneous approval to conduct the program in this university. A memorandum of thanks was given to the chairmen, professors and students of all the four departments. Along with, the Principal of Osmania University, Prof. Chinta Ganesh, Prof. C. Muralikrishna, Dean, Faculty of Arts, and supporting staff, employees were given heartfelt thanks. The International Seminar ended with Shanti Path and National Anthem.
हैदराबाद: हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच और बद्रुका वाणिज्य एवं कला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ‘विश्व हिंदी दिवस’ का आयोजन महाविद्यालय परिसर में धूमधाम से किया गया। आज यहाँ जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में ‘हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच’ के महासचिव डॉ. विद्याधर ने यह जानकारी दी।
उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्रीकिशन बद्रुका ने कहा कि विश्व भर में हिंदी को जो स्थान आज मिल रहा है, 10 साल पहले ऐसा नहीं था। अपनी सरलता और सुगमता के कारण हिन्दी की पहचान दुनिया की वैज्ञानिक भाषाओं के रूप में भी होती है। हिंदी के वैश्विक प्रसार के कारण निश्चित रूप से वह सबका ध्यान आकर्षित कर रही है|
उद्घाटन सत्र में सम्माननीय अतिथि के तौर पर पधारे भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार तिवारी ने मानव के स्नायविक विकास की चर्चा करते हुए बौद्धिक विकास में मातृभाषा के महत्व और अनुवाद पर जोर दिया।
ऑनलाइन अतिथि के रूप में आक्स्फोर्ड बिज़नेस कॉलेज (लंदन) के डायरेक्टर डॉ. पद्मेश गुप्त ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के विकास के महत्व को रेखांकित किया। उज़्बेकिस्तान से प्रो. उल्फत मुखीलोवा तथा ब्रिटेन से प्रो. इमरै बंगा ने भी उद्घाटन सत्र में ऑनलाइन वक्तव्य दिया। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विद्वानों के वक्तव्यों से हिंदी भाषा के सुनहरे भविष्य के प्रति सुनिश्चितता प्रकट हुई।
समारोह के बीज वक्ता के रूप में साहित्यकार और हिंदीसेवी प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने हिंदीतर प्रांतों में हिंदी के विकास और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की कार्य क्षमता की प्रशंसा करते हुए कहा कि हिंदी तेज़ी से विश्व पटल पर ‘शक्ति की भाषा’ के रूप में उभर रही है।
“हिंदी के संवर्धन में हिंदीतर विद्वानों का योगदान” विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता अरबामींच विश्वविद्यालय, इथोपिया के प्रो. गोपाल शर्मा ने तथा द्वितीय सत्र की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने की।
सम्माननीय अतिथि के रूप में डॉ. घनश्याम उपस्थित रहे। डॉ. बेला और डॉ. जी. प्रवीणाबाई ने विषय प्रवर्तन किया। डॉ. संगीता व्यास, प्रो. करन सिंह ऊटवाल, प्रो. श्याम राव राठौर, डॉ. माधवी, डॉ. कामेश्वरी , डॉ. कोकिला, डॉ. श्रद्धा तिवारी और डॉ. शक्ति द्विवेदी तथा अन्य वक्ताओं ने शोधपत्र प्रस्तुत किए।
समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि महेश कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रमेश कुमार बंग ने शिरकत की। साथ ही अध्यक्ष के रूप में बद्रुका महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी. मोहन कुमार, विशेष अतिथि के रूप में बद्रुका महाविद्यालय के महानिदेशक प्रो. एस. अभिरामकृष्ण, डॉ. डी. विद्याधर, डॉ. राजेश अग्रवाल और रियाजुल अंसारी आदि गणमान्य हस्तियों ने इस महत्वपूर्ण अवसर की शोभा बढ़ाई।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे रमेश कुमार बंग ने इस अवसर पर कहा कि हिंदी हमारे देश की पहचान है। यह हर एक भारतीयों की रग – रग में बसती हैI साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी हैं हम विश्व मैंत्री मंच और बद्रुका वाणिज्य विद्यालय के प्रति उनका सहयोग सदैव रहेगा। विशेष अतिथि प्रो. एस अभिरामकृष्ण ने इस अवसर पर सभी को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए अपनी गर्वानुभूति प्रकट की कि हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच ने बद्रुका महाविद्यालय से जुड़ कर इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया।
समापन सत्र के अध्यक्ष और महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी. मोहन कुमार ने कहा कि सुबह से लेकर देर शाम तक हिंदी प्रेमियों और विद्वानों की सभागार में उपस्थिति देखकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है। महाविद्यालय हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच के साथ जुड़कर इस तरह के कार्यक्रम करने में गर्व की अनुभूति करता है। हमारा सहयोग भविष्य में सदा बना रहेगा।
बद्रुका महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश अग्रवाल ने मुख्य अतिथि रमेश कुमार बंग का परिचय दिया। साथ ही हिंदी की बढ़ोतरी के लिए महाविद्यालय के द्वारा किए जा रहे सहयोग व प्रयासों के बारे में सविस्तार समझाया। हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच के महासचिव डॉ. डी. विद्याधर ने मंच के द्वारा पिछले कई वर्षों से दक्षिण भारत में हिंदी के अंतरराष्ट्रीय कार्यों का सविस्तार विवरण और भविष्य में भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करने का आश्वासन दिया।
‘हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच’ के संस्थापक-अध्यक्ष डॉ. रियाज़ उल अंसारी ने मंच के उद्देश्यों एवं महत्व का विस्तृत परिचय देते हुए सभी सम्मानित अतिथियों एवं वक्ताओं को धन्यवाद दिया I विशेषकर विदेशों से जुड़े डॉ. पद्मेश गुप्त जी, प्रो. इमरै बंघॉ जी तथा प्रो. उल्फत मुखीलोवा का आभार प्रकट किया I आगे उन्होंने कहा की हमने कोरोना काल में भी मंच की गतिविधियों को जारी रखते हुए चार अन्तरराष्ट्रीय वेब-संगोष्ठियों का आयोजन किया। आगे की योजनओं को बताते हुए उन्होंने कहा कि ख़ुदा ने चाहा तो करोना महामारी के पूर्व स्थगित हुई ‘ऑक्सफ़ोर्ड अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी’ का आयोजन इस वर्ष किया जाएगाI अंत में उन्होंने मंच की कार्यकरिणी समिति को धन्यवाद देते हुवे कॉलेज के प्रशासन तथा कर्मचारियों, विशेषकर मोहम्मद नज़ीर भाई और विद्यार्थियों का आभार प्रकट किया जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।
समारोह में संयोजक मंडल के सदस्य डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा, डॉ. सुषमा देवी, डॉ. जयप्रदा, डॉ. लीलावती और श्रीमती रईसी अफ़रोज़ के अलावा डॉ. रेखा शर्मा, डॉ. बी. बालाजी, डॉ. जयप्रकाश नागला, डॉ. श्रीनिवास आदि सहित विभिन्न शिक्षण संस्थाओं और उपक्रमों के प्राध्यापक तथा राजभाषा अधिकारी उपस्थित थे।
Source: https://telanganasamachar.online/hindi-hai-hum-vishwa-maitri-manch-and-badruka-commerce-and-arts-college/